Wednesday, June 8, 2016

Pratiti in Bhopal - Kirti's Letter


A letter from Kirti

Sometimes you come across participants who startle you with their sincerity, keenly paying heed to every single word you say with the intention of translating their learning into action at the earliest possible opportunity. Kirti has been exactly that type. The beautiful way in which she acknowledges all that she has grasped from the Pratiti workshops and how it is helping her in her life and work fills us with a tremendous sense of gratitude and makes a lot of our efforts worth it! Thank you Kirti! :)



जब प्रतीति की वर्कशॉप में आए थे तो हमारी सोच ‘जेंडर’ को लेकर कुछ अलग थी लेकिन तीन दिन की वर्कशॉप में शामिल होने के बाद मैंने लिंग भेदभाव, लिंग आधारित हिंसा को समझा और जेंडर पर अपनी एक समझ बनायी। प्रतीति की वर्कशॉप अभी तक की सभी वर्कशॉप में से सबसे अच्छी रही जिसमें बहुत सारे दोस्त बने, मैंने बहुत कुछ सीखा और सभी बातों को खुलकर रखा। रोचक गतिविधियों के माध्यम से जेंडर को समझने में ज्यादा आसनी रही।


प्रतीति की वर्कशॉप में हमने अपने आप की एक पहचान खोजी जिसे हम भूल जाते हैं कि हम क्या है? और हमारे गुण, अवगुण क्या है, हम दूसरों की बातें सुनकर अपनी पहचान खोजते हैं लेकिन प्रतीति के माध्यम से अपने आपको जाना और पहचाना है।
प्रतीति वर्कशॉप में वैसे तो सभी कुछ सीखने के लिए है लेकिन एक सामाजिक कार्यकर्ता के रुप में तीन महत्वपूर्ण चीजें मैंने सीखी -
1. धाराणाएं- हम अपनी पूरी सोच समझ धाराणाओं पर बना लेते है जिससे हमारी सोच नैगेटिव हो जाती है।
2. एक व्यक्ति के जीवन में सहजता, असहजता, घबराहट जैसी परिस्थितियां होती है लेकिन हमें खिंचाव में अपने आपको लाना है।
3. सामाजिक शक्ति की हवा के बारे में कभी सोचा भी नहीं था। ऐसी भी कोई चीज है जो हमारे जीवन में इतना असर कर रही है।
हमारे हर निर्णय के पीछे सामाजिक शक्ति की हवा है। अब हम समुदाय में काम करते हैं तो कहीं भी लिंग आधारित हिंसा होती है तो हम जल्द ही समझ जाते हैं कि ये किस लिए हो रही है, जेंडर के आधार पर या धारणा या फिर सामाजिक शक्ति की हवा है।
“जब मैं मां के गर्भ में आयी
सबने मिलकर सोच बनायी।
लड़का है या लड़की भाई
लड़की है तो हम सोचेंगे 
लड़का है तो खुद सोचेगा।।” 
 – कीर्ति प्रजापति


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The Pratiti Bhopal journey concludes with a celebratory closure event on 25th June, 2016! 
Come, watch the fellows from the Bhopal cohort present their wonderful stories of change and cheer them on in their future journeys towards establishing gender peace! All are invited! :)

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