Monday, May 23, 2016

Pratiti in Jaipur - Ravi's Letter


A letter from Ravi

It takes a brave soul to identify and accept their own faults before trying to point out those of others. Ravi's enduring humility, politeness and hard-working nature makes it a pleasure for us to meet him on our monthly visits to Jaipur. Here he writes a heartfelt letter to the Pratiti team, the sort that inspires us to carry on our work with renewed vigor and unearth more Ravis across the country! 

More power to him!

प्रतीति ने मेरे जीवन की कई पुरानी यादों को फिर से याद दिला दिया जिसमें बचपन की गलतियों को उजागर किया, 15-17 वर्ष की आयु में जो गलतियां करता था उन गलतियों को सही रुप से सही तरह से समझाया। मुझे लगता था कि मैंने अपने जीवन में कभी भी किसी का अपमान, बुरा व्यवहार, ऊंच-नीच, जातिवाद, महिलाओं और स्त्री के सम्मान नहीं करना आदि नहीं किया है लेकिन प्रतीति ने मुझे मेरे कई प्रकार के दोष और गलतियों का अहसास करा दिया। मुझे हमेशा ऐसा लगता रहा कि मैंने कभी भी लिंग के आधार पर किसी से भेदभाव नहीं किया पर प्रतीति के माध्यम से मुझे पता चला कि कई बार मैं भी लिंग भेद का हिस्सा बना हूं तथा किसी का भी सम्मान नहीं कर सका। लेकिन मुझे खुशी है कि मुझे प्रतीति से जुड़ने का मौका मिला और जेंडर(लिंग भेद) शब्द का सही अर्थ जानने के बाद मुझे अपने आप को लेकर शर्मिंदगी का अहसास हुआ तथा अपने आप को लेकर निराशा से भरा हुआ महसूस किया, लेकिन थैंक्यू प्रतीति के सभी सदस्यों को जिन्हें मुझे मेरे गलत होने का अहसास कराया।  

 
 साथ ही मैं ये कहना चाहता हूं कि मुझे तीन दिन की वर्कशॉप में बहुत कुछ जानने और सीखने का मौका मिला तथा अपने अन्य साथी और दोस्तों को समझने का मौका मिला, उनके अच्छे कामों और विचारों को अपनाने का मौका मिला, साथ ही उनके अनुभव को प्राप्त करने का मौका मिला, प्रतीति के जरिए मुझे अपने आपको जानने का मौका मिला और अपनी पहचान एक व्यक्ति, पुरुष होने का अहसास हुआ, मुझे हर किसी से प्रतीति के माध्यम से कुछ न कुछ सीखने का मौका मिला, जैसे- आदित्य सर, आरुषि मैडम, सोमेष सर इन तीनों ने मुझमे अपने आत्मविश्वास को जगाने तथा अपने आप प्रेरित करने और कुछ करने हेतु बनाया।  
 जब हम तीन दिन की वर्कशॉप के बाद वापस अपने काम में आये तो हमारे सभी साथियों ने कई सवाल पूछे, हमने वर्कशॉप में जेंडर और लिंग आधारित भेदभाव के बारे में जो भी सीखा था उन्हें बताया जिसे सुनकर वो काफी खुश हुए और हमारी सहायता करने तथा इस काम को आगे बढ़ाने हेतु तैयार हो गए। उसके बाद हमने नीतू, मुकूल, रवि ने मिलकर इस पर काम शुरू किया तथा धीरे-धीरे लोगों, लड़कों और लड़कियों को इसके बारे में जानकारी देने लगे, साथ ही अन्य गतिविधियों के माध्यम से उनको जानने और उनके मन की बात एवम इच्छाएं जानने की कोशिश की तथा धीरे धीरे हम इस काम में इस तरह खो गए कि हमें समय का पता भी नहीं चला तथा उनसे बातें करने पर हमें काफी खुशी मिली और वो भी जेंडर के बारे में नई जानकारी पाकर काफी उत्साहित थे और आगे भी हमारे साथ जुड़ने हेतु आगे आए, ये अनुभव हमारे लिए काफी आश्चर्यजनक था। तथा हमें अपने आप पर विश्वास नहीं हो रहा था कि हमने इस काम को किया है।  
 तथा आगे भी हम इस काम को जारी रखेंगे तथा अपने विशाखा समुदाय और अन्य समुदाय में जारी रखेंगे जिससे जेंडर (लिंग भेद) असमानता शब्द को मिटा सके या उसे कम कर सके। साथ ही मुझे व मेरे साथी गणों में परिवर्तन नजर आए जो मुझमें पहले नहीं था। कुछ बदला-बदला सा रहने लगा तथा अपने बातों को आराम से तथा दूसरों की बातों को आराम से सुनने और समझने लगा तथा इससे मेरे जीवन में कई बदलाव आए तथा आगे भी मेरे जीवन में कई बदलाव देखने को मिले।        
विशाखा महिला शिक्षा एवं शोध समिति जयपुर  
विशाखा महिला सशक्तिकरण एवं युवा खुशहाली केंद्र बगरू (जयपुर)
रविशंकर शर्मा


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Just a few weeks more remain before the Pratiti Jaipur journey draws to a close! We will be tracking and updating all the stories from the participants with regard to their action projects as well as their personal transformations! Keep following the blog to continue reading these amazing stories!

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